राजस्थान के 2 शहरों में दिल्ली-गुरुग्राम से भी ज्यादा प्रदूषण:उदयपुर में इस साल का सबसे प्रदूषण वाला दिन, एक्यूआई लेवल 354 रहा; कोटा में 364

दिल्ली एनसीआर की तर्ज पर अब राजस्थान के प्रमुख शहरों में भी आबोहवा दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। राजस्थान के आज दो शहरों में स्थिति दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा से भी ज्यादा खराब रही। कोटा, उदयपुर में आज एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल 350 के ऊपर दर्ज किया गया। विशेषज्ञों की माने तो कोटा, उदयपुर जैसे शहरों में एक्यूआई लेवल बिगड़ने के पीछे बड़ा कारण सर्दी और आर्द्रता का स्तर बढ़ना है।
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिले डेटा को देखें तो आज सबसे ज्यादा एक्यूआई लेवल कोटा का 364 दर्ज किया गया। वहीं उदयपुर में यह लेवल 354 रहा। जबकि दिल्ली में 342, फरीदाबाद गाजियाबाद में 328, ग्रेटर नोएडा 320, गुरुग्राम 326 और मेरठ का एक्यूआई लेवल आज 352 रहा। कोटा और उदयपुर के अलावा आज जोधपुर में भी स्थिति खतरनाक रही, जहां एक्यूआई लेवल 315 पर पहुंच गया।
इस मामले में एनसीआर एरिया भिवाड़ी में स्थिति पिछले दिनों के मुकाबले थोड़ी ठीक रही। भिवाड़ी में शनिवार को जहां एक्यूआई लेवल 470 के पार पहुंच गया था, वहां स्थिति सुधरी है और आज एक्यूआई लेवल 333 पर आ गया। हालांकि अब भी भिवाड़ी रेड जोन में आ रहा है।
नमी बढ़ने के कारण बढ़ रहा है पॉल्यूशन
मौसम और पॉल्यूशन बोर्ड से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो सर्दी बढ़ने और वातावरण में नमी होने के कारण उदयपुर, कोटा जैसे शहरों में पॉल्यूशन लेवल इतने खतरनाक स्तर पर पहुंचा है। विशेषज्ञों की माने तो गाड़ियों और औद्योगिक ईकाइयों से निकलने वाले कार्बन के कण हवा में नमी ज्यादा होने के कारण ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाते। ये आसमान में यह निचले लेवल पर ही बने रहते है, जिससे शहरों की आबोहवा बिगड़ जाती है। मौसम विभाग की माने तो कोटा में ह्यूमिडिटी लेवल 82 फीसदी पर पहुंच गया है। जबकि उदयपुर में यह 78 फीसदी के आस-पास है।
इन शहरों में ये रही स्थिति
जयपुर में आज एक्यूआई लेवल 282 रहा, जबकि अजमेर में 129, अलवर 163 और पाली में 274 लेवल पर दर्ज किया गया। श्वसन रोग विशेषज्ञों की माने तो जैसे-जैसे सर्दी का स्तर बढ़ेगा अस्थमा रोगियों के लिए परेशानी बढ़ने लगेगी। क्योंकि एयर क्वालिटी खराब हाेने से वातावरण में प्रदूषण का लेवल बढ़ जाता है और अस्थमा मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है। अस्थमा रोगियों के अलावा बुजुर्गों और कम इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए भी यह मौसम बेहद खराब है। क्योंकि इसका सीधा असर लंग्स पर पड़ता है, जिसकी वर्किंग कैपेसिटी कम होती है।