भीलवाड़ा अब उदयपुर संभाग का, 28 की जगह 23 विधान सभा सीटें होंगी अब उदयपुर संभाग में

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा के तहत शुक्रवार को उदयपुर जिले और उदयपुर संभाग का बंटवारा हो गया। इस संभाग के 6 जिलों में से तीन जिले डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के अलग हो गए। हालांकि, भीलवाड़ा व सलूंबर नया जिला जुड़ने से यह संख्या 5 पर पहुंच गई। तीन जिले कटने के बाद यूं तो 28 में से 11 विधानसभाएं भी अलग हो गई हैं और 17 रह गई, लेकिन भीलवाड़ा की 8 में से 6 विधानसभा सीटें आने से इनकी संख्या 23 हो गई। इसके बावजूद 5 सीटों का नुकसान हुआ। अगर नए जिले परिसीमन के बाद कोई सीट बढ़ी तो यह संख्या और बढ़ सकती है। अभी सलूंबर में उदयपुर से सराड़ा व लसाड़िया को शामिल किया गया है। पहले ये दो विधानसभा क्षेत्र थे। सलूंबर अब भी विधानसभा सीट है। परिसीमन हुआ तो वहां एक से 2 सीटें बढ़ सकती हैं। ऐसे में उदयपुर में से सलूंबर नया जिला बनाने और संभाग में से उदयपुर-बांसवाड़ा को तोड़ने के बाद भी उदयपुर संभाग (मेवाड़) का सियासी रुतबा कायम रहेगा।
संभागों का पुर्नगठन किया गया इसके तहत अब उदयपुर संभाग में उदयपुर, चित्तौडगढ़़, राजसमंद जिलों के अलावा अजमेर से हटाकर भीलवाड़ा को भी शामिल कर दिया गया है। इसके अलावा नया बना सलूंबर उदयपुर संभाग में होगा।
खास बात यह है कि रियासतकाल में 1949 तक मेवाड़ यानी उदयपुर का अभिन्न अंग रहे भीलवाड़ा जिले को अजमेर से हटाकर 74 साल बाद उदयपुर संभाग में शामिल किया गया है। भीलवाड़ा को तोड़कर शाहपुरा जिला बनाया गया है। इसमें शाहपुरा व जहाजपुर विधानसभा को शामिल किया गया है। चुनावी साल में बने नए संभाग बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में 9 अगस्त को राहुल गांधी की सभा से पहले इन बदलावों को बड़े सियासी दांव की तरह देखा जा रहा है। वजह आदिवासी वोट बैंक है और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों की इन पर नजर है। नए संभाग बांसवाड़ा के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिले में सिर्फ 11 सीटें हैं।