साइबर फ्रॉड पर उदयपुर पुलिस का एक्शन:क्रेडिट कार्ड का बीमा, ऑनलाइन शॉपिंग पर ऑफर देकर करते थे ठगी, पुलिस ने तीन बड़ी वारदातों में 2.47 लाख का अमाउंट रिकवर करवाया
उदयपुर की सवीना पुलिस ने साइबर ठगों पर जबरदस्त कार्रवाई की है। पुलिस ने साइबर फ्रॉड के खिलाफ टीम गठित कर दिसम्बर के महीने में हुए साइबर फ्रॉड के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पीड़ितों के 2 लाख 47 हजार 460 रुपए रिकवर करवाए। पुलिस के सामने नवम्बर के महीने में सवीना थाने से गूगल पे, फोन पे सहित कई माध्यमों से साइबर ठगी की वारदातें आई थी। इस पर शहर के एडिशनल एसपी गोपाल स्वरूप मेवाड़ा, डीएसवी राजीव जोशी और सवीना थानाधिकारी रविंद्र चारण ने स्पेशल टीम गठित की। सवीना थाने के हैड कांस्टेबल सुनील विश्नोई और कांस्टेबल राजकुमार जाखड़ की टीम ने 2.47 लाख रुपए रिकवर करवाए।
इस तरह हुआ था लोगों के साथ साइबर फ्रॉड
– तीतरड़ी के रहने वाले महेंद्र कुमार के पास साइबर ठगों ने क्रेडिट कार्ड का बीमा करने को लेकर कॉल किया। महेंद्र ने कार्ड डिटेल बता दी और उसके साथ 10 हजार रुपए की ठगी हो गई।
– सेक्टर-11 निवासी विवेक ने ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान ऑफर पर क्लिक किया और पूछे जाने पर ओटीपी बता दिया। इससे उनके साथ 97 हजार रुपए की ठगी हुई।
– सेक्टर-12 निवासी डेयरी संचालक मनीष अरोड़ा को फौजी बनकर कॉल किया गया। उनसे डेयरी प्रोडक्ट खरीदने को लेकर बात की गई। प्रोडक्ट की बुकिंग को लेकर पेमेंट करने के लिए उनसे एटीएम कार्ड नम्बर और ओटीपी पूछा। बताए जाने पर उनसे 1.39 लाख रुपए की ठगी की गई।
इन सभी साइबर फ्रॉड को लेकर पुलिस ने मजबूत कार्रवाई करते हुए सम्बंधित बैंकों और कम्पनियों से सम्पर्क किया। उसके बाद फ्रॉड करने वालों के खाते फ्रीज करवाए। इसके बाद तमाम जरूरी कार्रवाई करते हुए फ्रॉड की राशि रिकवर करवाई। इससे पहले भी सवीना पुलिस ने 11 लाख से ज्यादा की राशि फ्रॉड से रिकवर करवाई थी। सवीना थाना अबतक साइबर फ्रॉड से जुड़ी 13 लाख 52 हजार 307 रुपए की राशि रिकवर करवा चुका है।
पुलिस ने चेताया : नहीं करें ये गलतियां
– किसी भी मोड से ऑनलाइन शॉपिंग या पेमेंट के दौरान फर्जी साइट्स खुलती हैं, इससे ठगी होती है। इनपर क्लिक करने और जाने से बचें।
– ऑनलाइन पेमेंट के दौरान किसी भी किस्म के ट्रांजेक्शन को लेकर रिक्वेस्ट स्वीकार करने से फ्रॉड हो जाता है। साइबर चोर पैसे डालने की बात कहकर रिक्वेस्ट भेजते हैं और डालते के बजाय काट लेते हैं।
– बैंक का कर्मचारी बनकर डिटेल मांगी जाती है। जबकि असल बैंक कर्मचारी कभी ऐसा नहीं करते। इससे ठगी हो जाती है।
– ओटीपी-पिन की जरुरत केवल पैसे भेजने के लिए होती है। जबकि फ्रॉड करने वाला व्यक्ति यूजर के खाते में पैसा डालने का लालच देकर ओटीपी मांगता है। ओटीपी किसी को नहीं बताना चाहिए।
– इंटरनेट पर जरूरी सेवाओं के लिए कई फर्जी फोन नम्बर और वेबसाइट दी हुई हैं। जिनसे सम्पर्क करने और साइबर फ्रॉडस की बातों में आने पर ठगी हो जाती है।