Rajasthan State Udaipur

फतहसागर पर वेटलैंड और सज्जनगढ़ सेंचुरी में लागू होंगे ईएसजेड के प्रतिबंध

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल बेंच ने उदयपुर की फतहसागर झील और सज्जनगढ़ सेंचुरी के संरक्षण से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। फैसले के अनुसार अब फतहसागर झील पर वेटलैंड और सज्जनगढ़ सेंचुरी में ईको सेंसेटिव जोन (ईएसजेड) के प्रतिबंध लागू होंगे। एनजीटी ने कहा कि झील और सेंचुरी के इर्द-गिर्द ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश (लाइट) की तीव्रता पर रोक लगाई जाएगी, जिससे जलीय जीवों और वन्य जीवों के जीवन चक्र पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को रोका जा सके।

एनजीटी ने राजस्थान के प्रमुख सचिव, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव और सभी सहायक अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इसके लिए अधिसूचना जारी करें। प्राधिकरण ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, राजस्थान राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जिला कलेक्टर उदयपुर, नगर निगम आयुक्त उदयपुर को आगामी 15 नवंबर तक सेंट्रल जोन भोपाल बेंच में पालना रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ डॉ. अफरोज अहमद की बेंच ने फतहसागर के पारिस्थितिक तंत्र पर हो रहे आघातों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के बालाकृष्णन व अन्य बनाम भारत संघ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार यदि किसी झील, तालाब को वेटलैंड अधिसूचित नहीं भी करे तब भी वह झील, तालाब भारत सरकार के वेटलैंड एटलस में उल्लेखित 2 लाख 15 हजार वेटलैंड में शामिल है। राज्य सरकारों को वेटलैंड संरक्षण नियम 2017 की धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार संरक्षण करना होगा।

कार्रवाई का भी होगा निर्धारण : ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार को यह आदेश दिए हैं कि वह ध्वनि-प्रकाश प्रदूषण संबंधी नियम-कायदे बनाए और फतहसागर सहित अन्य झीलों और तालाबों को वेटलैंड संरक्षण के नियमों के तहत संरक्षित करे। इस आदेश के बाद अब यह निर्धारित किया जाएगा कि फतहसागर और सज्जनगढ़ क्षेत्र में कितने डेसिबल तक नॉइस पॉल्यूशन और हाई मास्क लाइट की कितनी तीव्रता नियम विरुद्ध मानी जाएगी। यह भी तय होगा कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 

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