आदमखोर लेपर्ड को मारी 4 गोलियां, 1 दिन पहले गांव में हुई थी पंचायत
उदयपुर में शुक्रवार सुबह 7:30 बजे एक लेपर्ड को गोली मार दी गई। सूत्रों के अनुसार, ये वही लेपर्ड है, जिसने बीते एक महीने में 10 लोगों काे मारा था। जहां लेपर्ड को गोली मारी गई, वह उदयपुर शहर के नजदीक मदार इलाका है।
पुलिस क्या एक्शन लेने वाली है, ये ग्रामीणों को पता नहीं था। लेकिन, लेपर्ड को मारने के लिए एक दिन पहले गुरुवार को मदार में पंचायत हो चुकी थी। तय कर लिया था कि मदार और इसके आसपास के इलाकों के लोग नौकरी और काम पर नहीं जाएंगे।
लेपर्ड को गोली मारने के बाद अब भी सवाल यह है कि कि क्या ये वही आदमखोर लेपर्ड है, जिसने लोगों की जान ली?
आदमखोर लेपर्ड के डर की वजह से शुक्रवार सुबह सैकड़ों लोग लाठी और हथियार लेकर पहाड़ी पर पहुंचे और घेराबंदी कर ली। यहां सात घंटे सर्च किया। दैनिक भास्कर की टीम जब गांव पहुंची तो लोग हथियार लेकर खड़े थे।
जब इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि लेपर्ड ने हमारे गांव के लोगों को मारना शुरू कर दिया है, इसलिए अब हम खुद ही लेपर्ड को मारेंगे। हालांकि दोपहर एक बजे बाद ग्रामीण पहाड़ से नीचे उतर आए।
मदार पंचायत की सरपंच लक्ष्मी बाई के पति नंदलाल ने दैनिक भास्कर को बताया- हमारे यहां गांव वालों में बहुत गुस्सा था कि लेपर्ड लोगों को मार रहा है। इस पर गुरुवार शाम 6:30 बजे खेड़ा देवी मंदिर के पास बैठक हुई।
इसमें सर्व सम्मति से ग्रामीणों की पंचायत ने तय किया था कि लेपर्ड को अपने स्तर पर खोजेंगे। इसमें मदार ग्राम पंचायत के मदार, बांदरवाड़ा, राठौड़ों का गुड़ा और ब्राह्मणों की हुनर गांव के लोग एकत्रित हुए। इन गांवों में कुल 3200 की आबादी है।
यह फैसला लिया गया कि शुक्रवार को कोई काम और नौकरी पर नहीं जाएगा। मदार गांव से रोजाना 10 बसों का संचालन होता है। बस ड्राइवर को कॉल कर गांव में बस नहीं आने का कह दिया था। कारण था कि बस नहीं आएगी तो लोग काम और नौकरी के लिए उदयपुर नहीं जा पाएंगे।
पंचायत में लिए फैसले के बाद सुबह से ही लोग जुटना शुरू हो गए थे। 600 से ज्यादा लोगों ने अलग-अलग टीम बनाकर पहाड़ों पर चढ़ाई शुरू कर दी थी। इन सभी के पीछे ग्रामीणों का ये ही तर्क था कि अपनी सुरक्षा हमें खुद करनी है, इसलिए सभी को एकजुट होकर निकलना होगा।
इधर, मदार में अलग-अलग टीम बनाकर पहाड़ी की तरफ भेजा गया था। प्लान था कि पहाड़ी को चारों तरफ से घेराबंदी कर लेपर्ड को ट्रैक करेंगे और उसे मार देंगे। ये तय किया गया कि जिसके घर में जो भी लाठी-डंडे और हथियार हैं, वह साथ लाएगा। सभी इसी तैयारी के साथ पहाड़ी की तरफ निकले।
शुक्रवार को हालात ये थे कि पूरे मदार गांव को बंद रखा गया। बस स्टैंड से लेकर दुकान तक पर ताले थे। सुबह 6 से दोपहर 1 बजे तक पहाड़ियों पर सर्च किया गया।
इस बीच सूचना मिली कि पुलिस टीम ने लेपर्ड को मार दिया है। गांव में पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों की गाड़ियों का मूवमेंट बढ़ गया। कुछ ही देर में तालाब के दूसरी तरफ वाली पहाड़ी से लेपर्ड के शव को लाया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि जिस पहाड़ी पर लेपर्ड को मारा गया है, उस एरिया में तीन से चार लेपर्ड हैं। जिस लेपर्ड को मारा गया, क्या वो ही आदमखोर था, इसकी गारंटी भी कोई नहीं दे रहा। इसलिए गांव वालों की भीड़ ने पहाड़ी की तरफ कूच किया। दोपहर करीब 1 बजे तक पहाड़ की घेराबंदी की और लेपर्ड की तलाश की।