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राजस्थान में दाल-मक्की से बनने वाली फुलझड़ी- भाई-दोस्तों के साथ मिलकर बनाया फॉर्मूला

बीकानेर अपने भुजिया और पापड़ के स्वाद के लिए मशहूर है। कहा जाता है कि यहां के स्वादिष्ट पापड़ का स्वाद बढ़ाने वाली उड़द की दाल है। इससे अलग भी एक पहचान है। पापड़ के अलावा बीकानेर में बनने वाली बीकानेरी फुलझड़ी में भी दाल का उपयोग होता है। बीकानेर में फुलझड़ियों का काफी बड़ा कारोबार है। इसका सालाना टर्न ओवर 1 करोड़ से ज्यादा का है।

आतिशबाजी कारोबार की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। उस दौरान बाजार में बिकने वाली रामतीर्थ की फुलझड़ी का नाम खराब होने लगा था। तब वीरेंद्र किराडू ने केमिस्ट्री पढ़ चुके अपने बुआ के लड़के और दोस्तों के साथ रिसर्च शुरू किया। इसके बाद एक फॉर्मूला बनाया, जिसमें उड़द की दाल और मक्की (मक्का) के साथ मिलकर इस खास फुलझड़ी को तैयार किया गया।

बीकानेर के पटाखा निर्माता कंपनी के मालिक वीरेंद्र किराडू कहते हैं- उनके यहां फुलझड़ी बनाने का काम साल 1960 से हो रहा है। उनके दादा सुगन चंद किराडू ने फैक्ट्री लगाई थी। इसके बाद उनके पिता श्रीचंद किराडू ने 1987 से 1996 तक इस फैक्ट्री को संभाला। ​​​​​1996 में जब श्रीचंद किराडू का देहांत हो गया। इसके बाद वीरेंद्र किराडू ने इस फैक्ट्री को संभालना शुरू किया।

वीरेंद्र बताते हैं-

हमारी फुलझड़ी देश के कई शहरों में सप्लाई होती थी। 1996 से पहले मार्केट में ये बात होने लगी कि रामतीर्थ (ये इनकी फैक्ट्री का नाम है) की फुलझड़ी तो बीच में चलते-चलते ही बंद हो जाती है। इसे दोबारा जलाने की कोशिश भी करें तो ये जलती नहीं है। जब इस बारे में पिताजी से पूछा तो उन्होंने भी बताया कि इसका कारण उन्हें भी नहीं पता। 1996 में पिता की मृत्यु के बाद बिजनेस संभाला तो पता चला कि फुलझड़ियों में दरारें आ रही हैं और इनमें क्रैक बन रहे हैं। इस वजह से दोबारा जलाने पर भी नहीं जल पा रही थी।

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