उदयपुर में बार एसोसिएशन के चुनाव:अध्यक्ष पद पर गिरिजा शंकर मेहता ने 103 वोटों से राकेश मोगरा को हराया, 5 वीं मैदान में आई रिजवाना इस बार बनी वित्त सचिव
उदयपुर में 2 साल के इंतजार के बाद रविवार को बार एसोसिएशन के चुनाव संपन्न हुए। सुबह 8 बजे से 1 बजे तक 82 फीसदी अधिवक्ताओं ने वोट कास्ट किया। अध्यक्ष पद के त्रिकोणीय मुकाबले में गिरिजा शंकर मेहता ने निकटतम प्रतिद्वंदी को 103 वोट से मात दी। मेहता को 1106 में से वोट मिले तो वहीं उनके प्रतिद्वंदी प्रतिद्वंदी को राकेश मोगरा को 1003 वोट मिले। वही तीसरे स्थान विवेक व्यास को महज 65 वोट मिले। अध्यक्ष सहित 6 पदों के लिए दोपहर 3 बजे से 11 राउंड में चली मतगणना के बाद 10 बजे परिणाम घोषित हुए। इसके बाद कोर्ट परिसर में ढोल नगाड़ों के साथ सैकड़ों अधिवक्ताओं और परिवारजनों के साथ विजयी प्रत्याशियों ने जमकर अतिशबाजी कर विजय जुलूस निकाला
उपाध्यक्ष पद पर दिलीप बापना 525 वोट से जीते। बापना को 1084 और रवि सोनी को 559 वोट मिले। महासचिव पर भूपेंद्र सिंह चुंडावत ने 422 वोट से निकटतम प्रतिद्वंदी अकुंर टांक को हराया। सचिव पर अजय आचार्य ने 169 वोट से भावेश जैन को मात दी। वहीं वित्त सचिव रिजवाना रिजवी ने 30 वोटो से प्रशांत पालीवाल एवं पुस्तकालय सचिव पर पंकज जैन ने 204 वोट से प्रवीण कुमार शर्मा को हराया। खास बात यह थी कि वित्त सचिव के लिए रिजवाना रिजवी इस बार 5 वीं बार चुनावी मैदान में उतरी थी। इससे पहले उन्हें हमेशा हार का सामना करना पड़ा।
अध्यक्ष पद पर जीत के बाद गिरिजा शंकर मेहता ने जीत का श्रेय साथी अधिवक्ताओं को देते हुए कहा कि चुनाव के दौरान साथी वकीलों से किए हर वादे को लेकर वे पूरी तरह समर्पित रहेंगे। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर अब नए सिरे आंदोलन करेंगे और बैंच को लाने पर हर संभव प्रयास जारी रहेंगे। पार्किंग की समस्या पर भी स्थायी समाधान निकाला जाएगा, ताकि अधिवक्ताओं के साथ यहां आने वाले परिवादियों को भी बड़ी राहत मिल सके। मेहता ने कहा कि बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों के साथ सरकार से रियायती दरों पर भुखंड या आवास लेने को लेकर भी अब आवाज उठाई जाएगी।
चुनाव को लेकर सुबह से ही चौराहे के मैन गेट से कोर्ट तक चाक चौबंद व्यवस्थाएं की गई। चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवानों को तैनात किया गया। मेन गेट के आस-पास प्रत्याशियों के बड़े बड़े बैनर-पोस्टर लगे नजर आए। मतदान के दौरान भी प्रत्याशियों के समर्थकों ने वोट मांगने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरअसल 2019 और 2020 में कोरोना के चलते बार एसोसिएशन के चुनाव नहीं हो पाए थे। ऐसे में अब 2 साल बाद हो रहे इन चुनावों में जीतने के लिए दिग्गजों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी।