राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में उतरे अस्पताल संचालक, प्राइवेट अस्पतालों ने चिरंजीवी-RGHS योजना के तहत इलाज बंद
राजस्थान सरकार मेडिकल सेक्टर के लिए राइट टू हेल्थ एक्ट लाने की तैयारी कर रही है, राजस्थान के 1500 से ज्यादा हॉस्पिटल इस तरह की सरकारी योजनाओं से अटैच हैं। इस बिल को लेकर पूरे प्रदेश में विरोध शुरू हो गया है। शनिवार सुबह 8 बजे से प्रदेश के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ओपीडी-इमरजेंसी बंद रखी गई। प्राइवेट हॉस्पिटल्स के इस विरोध के समर्थन में सरकारी हॉस्पिटल्स में भी सुबह करीब 2 घंटे के लिए OPD बंद रखी गई थी। बैठक में किसी बात पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद प्राइवेट हॉस्पिटल्स की ओर से यह निर्णय लिया गया कि अब वे RGHS (राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) और चिरंजीवी योजना के तहत इलाज नहीं करेंगे, अब कैश या मेडिक्लेम पर ही प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज मिलेगा।
प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने बताया कि हम शुरू से राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं। सरकार अब जबरदस्ती इस बिल को पास करके हम पर थोपना चाहती है। अब हमारे संगठन ने ये निर्णय किया है कि सभी प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक राज्य सरकार की सरकारी योजनाओं का विरोध करेंगे।इन योजनाओं के तहत मरीजों को ट्रीटमेंट अब नहीं दिया जाएगा। इस बैठक से पहले शनिवार को जयपुर में जॉइंट एक्शन कमेटी के नेतृत्व में जयपुर में डॉक्टरों का प्रदर्शन हुआ, जिसमें उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज से त्रिमूर्ति सर्किल पर रैली निकाली।
बिल का विरोध करने वालों की बात सुनने के लिए डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल आज विधानसभा पहुंचा। इस मंडल में जिन डॉक्टरों को शामिल किया गया उसको लेकर संगठन ने विरोध जताया है। टीम में आरयूएचएस के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर के प्रिंसिपल डॉ. लाखन पोसवाल के अलावा दो अन्य डॉक्टर शामिल हुए।