बच्चों के वैक्सीनेशन पर फैसला नहीं:18+ का टीकाकरण पूरा करने के लिए 72 करोड़ डोज चाहिए, बूस्टर डोज पर भी विचार नहीं कर रही सरकार
बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर सरकार फिलहाल कोई फैसला नहीं कर सकी है। इसके अलावा वैक्सीनेट हो चुके लोगों को बूस्टर डोज लगाने को लेकर भी कोई रणनीति नहीं बनी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अभी इस बारे में कोई विचार नहीं किया है।
दुनिया के कई प्रमुख देश बूस्टर डोज लगाना शुरू कर चुके हैं, लेकिन भारत में परिस्थितियां अभी अलग हैं। यहां न तो अभी अमेरिका-ब्रिटेन की तरह कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, न ही बच्चों में संक्रमण को लेकर ज्यादा खतरा है। देश के 18 करोड़ वयस्क यानी 18+ ऐसे हैं, जिन्हें टीके का पहला डोज भी नहीं लगा है। इन्हें टीका लगने के बाद ही बूस्टर डोज का फैसला लिया जा सकता है।
आधार डेटा के मुताबिक देश में 95 करोड़ लोग 18 साल से ज्यादा उम्र के हैं। इनमें से 77 करोड़ लोगों को पहला डोज लग चुका है, जबकि दूसरी डोज लगवाने वाले करीब 41 करोड़ हैं। यानी, 18 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें अभी पहला डोज भी नहीं लगा है। ऐसे में इन्हें टीके लगाना सरकार की प्राथमिकता है। बूस्टर डोज पर फैसला लेने के लिए अभी कोई ठोस आधार नहीं है।
बच्चों को टीके अभी क्यों नहीं?
ब्रिटेन समेत दुनियाभर के प्रमुख देशों में औसतन हर 10 लाख संक्रमित बच्चों में सिर्फ 2 बच्चों की मौत हुई है। यानी, बच्चों में कोरोना से मौतों की दर न के बराबर है।
बूस्टर डोज अभी क्यों नहीं?
भारत में 18 करोड़ वयस्कों को अभी पहली डोज भी नहीं लगी है। दूसरी ओर, कोरोना संक्रमण भी लगातार घट रहा है, इसलिए विशेषज्ञों को अभी तकनीकी तौर पर बूस्टर डोज जरूरी नहीं लग रहे।
70% बच्चों में एंटीबॉडी
ब्रिटिश वीकली साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में औसतन हर 10 लाख संक्रमित बच्चों में सिर्फ 2 को बचाया नहीं जा सका। यही ट्रेंड यूरोप के दूसरे देशों में है। दूसरी ओर, भारत में पिछले दिनों हुए सीरो सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई है कि 70% बच्चों में एंटीबॉडी है। यानी वे एक बार संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में उन्हें अभी कुछ महीनों में खतरा नहीं है। इसलिए बच्चों का वैक्सीनेशन टाला जा सकता है। हालांकि, जायकोव-डी वैक्सीन को बच्चों के लिए अप्रूव किया जा चुका है।
पॉजिटिविटी रेट 2% से नीचे
बूस्टर डोज को फिलहाल इसलिए भी टाला जा रहा है, क्योंकि देश में संक्रमण की साप्ताहिक दर (टेस्ट पॉजिटिविटी रेट) 0.93% है। यह 2 महीने से 2% से नीचे बनी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, संक्रमण की दर 5% से नीचे हो तो महामारी नियंत्रण में मानी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सभी वयस्कों को टीका लग जाता है तो मौतों में गिरावट आएगी, क्योंकि कोरोना से होने वाली 80% से ज्यादा मौतें 45 साल से ज्यादा उम्र वालों की हो रही हैं।
अभी फोकस 18+ पर
अभी फोकस में दो तरह के लोग हैं। पहले- वो 18 करोड़ जिन्हें अभी एक भी डोज नहीं लगी है। उन्हें 36 करोड़ डोज लगेंगी। दूसरे- वो 36 करोड़ जिन्हें सिर्फ एक डोज लगी है। यानी वयस्कों को अभी कुल 72 करोड़ डोज लगेंगी। अभी हर माह 25 करोड़ से ज्यादा डोज नहीं लग रहीं। ऐसे में इन लोगों को कवर करने में 3 माह लग सकते हैं।