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चीन की फ्लाइट से भारत में हुई थी कोरोना की एंट्री, ओमिक्रॉन को रोकने इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर बैन क्यों जरूरी?

साउथ अफ्रीका में सामने आए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया चौकन्ना हो गई है। WHO ने इस नए वैरिएंट को ओमिक्रॉन नाम देते हुए इसे डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक बताया है। इस वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया हाई अलर्ट पर है। इसकी जानकारी मिलने के बाद एक हफ्ते से भी कम समय में ही दुनिया भर के प्रमुख देशों ने अफ्रीकी देशों से आने वाली फ्लाइट्स पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

भारत ने भी 15 दिसंबर से इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर बैन हटाने के अपने पहले के निर्णय की समीक्षा करने को कहा है। साथ ही इंटरनेशनल फ्लाट्स से आने वाले यात्रियों की निगरानी और ‘जोखिम वाले देशों’ से आने वाले यात्रियों की कड़ी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के आदेश दिए हैं।

दुनिया के किन देशों ने लगाया अफ्रीकी देशों की फ्लाइट पर बैन?

ओमिक्रॉन की घोषणा होते ही दुनिया के सभी प्रमुख देशों ने सबसे पहला कदम अफ्रीकी देशों से आने वाली फ्लाइट पर बैन लगाने के रूप में उठाया। साउथ अफ्रीका में सामने आने के कुछ दिन के अंदर ही ओमिक्रॉन एक दर्जन देशों में फैल चुका है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बोत्सवाना, ब्रिटेन, डेनमार्क, जर्मनी, हॉन्ग कॉन्ग, इजराइल, इटली, नीदरलैंड, फ्रांस और कनाडा शामिल हैं।

अफ्रीकी देशों की फ्लाइट पर बैन लगाने वाले देशों में यूरोपीय यूनियन, से लेकर कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ब्राजील, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, तुर्की, मिस्र, दुबई, सऊदी अरब, बहरीन, श्रीलंका और जॉर्डन जैसे देश शामिल हैं।

यूरोपीय यूनियन (EU) के देशों ने ओमिक्रॉन को लेकर दक्षिणी अफ्रीकी देशों से सभी तरह के ट्रैवल पर अस्थाई बैन लगा दिया है। EU ने जिन अफ्रीकी देशों को चिंता की श्रेणी में रखा है उनमें बोत्सवाना, इस्वातिनी, लेसोथो, मोजाम्बिक, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे शामिल हैं।

वहीं अमेरिका ने भी सोमवार से दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, जिम्बाब्वे, नामीबिया, लेसोथो, इस्वातिनी, मोजाम्बिक और मलावी से किसी भी तरह के ट्रैवल पर बैन लगा दिया है।

कनाडा ने उन लोगों के देश में प्रवेश पर रोक लगा दी है, जिन्होंने पिछले 14 दिनों के दौरान किसी भी दक्षिणी अफ्रीकी देश की यात्रा की है। पिछले 14 दिनों के दौरान इन देशों की यात्रा करने वालों के लिए कोविड-19 टेस्ट कराना और 14 दिन का क्वारंटाइन अनिवार्य होगा।

फ्लाइट के जरिए कैसे फैल रहा कोरोना का नया वैरिएंट?

ओमिक्रॉन के सामने आते ही दुनिया भर के कई देशों ने ताबड़तोड़ अंदाज में अफ्रीकी देशों की यात्रा पर बैन लगाया है। दरअसल, इसकी वजह इन देशों से फ्लाइट के जरिए कोरोना का अन्य देशों में फैलने का डर है। वैसे पिछले कुछ दिनों की रिपोर्ट्स देखें तो यह डर एकदम गलत भी नहीं है।

उदाहरण के लिए, साउथ अफ्रीका में सामने आने के एक हफ्ते के अंदर ही ओमिक्रॉन दुनिया भर के एक दर्जन देशों में फैल चुका है और खास बात ये है कि ज्यादातर देशों में ये अफ्रीकी देशों से फ्लाइट के जरिए आने वाले यात्रियों की वजह से फैला है।

  • 26 नवंबर को साउथ अफ्रीका से नीदरलैंड की राजधानी एम्सटडर्म स्थित शिफोल एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले यात्रियों में से 13 को ओमिक्रॉन से संक्रमित पाया गया।
  • वहीं, ब्रिटेन में पाए गए ओमिक्रॉन के दोनों पॉजिटिव व्यक्ति भी दक्षिणी अफ्रीकी देश से लौटे थे।
  • जर्मनी में पाए गए दो ओमिक्रॉन मामलों में वे यात्री शामिल थे, जो 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका के केपटाउन से म्यूनिख एयरपोर्ट पहुंचे थे।
  • ऑस्ट्रेलिया में भी जिन दो लोगों को ओमिक्रॉन से संक्रमित पाया गया वे दक्षिण अफ्रीकी देश की यात्रा से सिडनी लौटे थे।
  • इजरायल में मिला एक ओमिक्रॉन संक्रमित एक व्यक्ति अफ्रीकी देश मलावी से लौटा था।

भारत ने अफ्रीकी देशों की फ्लाइट पर किया है क्या फैसला?

कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया में सजगता के बीच भारत ने भी इससे निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं। ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए PM नरेंद्र मोदी की अगुआई में शनिवार को हुई आपात बैठक हुई, जिसमें इंटरनेशनल फ्लाट्स से आने वाले यात्रियों की कड़ी निगरानी करने और खासतौर पर ‘जोखिम वाले देशों’ से आने वाले यात्रियों की कड़ी टेस्टिंग और स्क्रीनिंग करने को कहा गया है।

साथ ही सरकार ने 15 दिसंबर से सभी इंटरनेशनल फ्लाइट पर रोक हटाने के अपने आदेश की समीक्षा कर रही है और फिलहाल उड़ानों की शत-प्रतिशत बहाल नहीं होगी।

भारत ने फिलहाल अफ्रीकी देशों की फ्लाइट पर बैन नहीं लगाया है, लेकिन एहतियात बरतते हुए यूरोपीय यूनियन के साथ ही साउथ अफ्रीका, ब्राजील, ब्रिटेन बांग्लादेश, मॉरीशस, बोत्सवाना, जिम्बाब्वे, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, हॉन्ग कॉन्ग और इजराइल को ‘जोखिम वाले देशों’ की सूची में रखा है।

सरकार ने ‘जोखिम वाले देशों’ से आने वाले सभी यात्रियों की एयरपोर्ट पर ही कड़ी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के आदेश दिए हैं।

वहीं, ओमिक्रॉन को देखते हुए भारत सरकार इंटरनेशनल फ्लाइट को शत-प्रतिशत बहाल नहीं करेगी। एविएशन मिनिस्ट्री के अनुसार, ‘जोखिम वाले’ देशों के साथ शत-प्रतिशत फ्लाइट की बहाली नहीं होगी। भारत उन देशों के साथ अपनी 75% सेवाओं की बहाली करेगा जिनके साथ उसका एयर बबल एग्रीमेंट है। वहीं जिन देशों के साथ ऐसा करार नहीं है, उनके साथ भारत फिलहाल 50% फ्लाइट ही बहाल करेगा।

भारत में फ्लाइट के जरिए ही हुई थी कोरोना की एंट्री

भारत में कोरोना की एंट्री चीन से आने वाली एक फ्लाइट से हुई थी। भारत में कोरोना का पहला केस चीन के वुहान से केरल लौटी एक 20 वर्षीय महिला में 27 जनवरी 2020 को पाया गया था।

इस एक केस से धीरे-धीरे देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या हजारों में पहुंच गई। कुछ ही महीनों बाद पूरे देश में लॉकडाउन लगा और फिर इसके अगल साल (2021) कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाते हुए लाखों लोगों की जान ले ली।

भारत में अब तक कोरोना के 3.4 करोड़ से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं और 4.5 लाख से अधिक लोगों ने इस घातक वायरस की वजह से अपनी जान गंवाई है। इस घातक वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचाया।

यही वजह है कि भारत सरकार से कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर अफ्रीकी देशों की फ्लाइट पर तुरंत ही पूरी तरह बैन लगाने की मांग की जा रही है। दुनिया भर के कई देश पहले ही ऐसा कर चुके हैं। हालांकि सरकार ने अभी बैन न लगाकर ओमिक्रॉन वाले देशों को जोखिम वाले देशों की सूची में डालते हुए वहां से आने वाले यात्रियों की कड़ी निगरानी करने और ऐसे देशों के साथ फ्लाइट पूरी तरह बहाल न करने का फैसला किया है।

वहीं ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए इंटर-स्टेट लेवर पर भी प्रतिबंध कड़े हो रहे हैं। इसके तहत कर्नाटक ने केरल और महाराष्ट्र से आने वाले लोगों के लिए निगेटिव RT-PCR टेस्ट अनिवार्य कर दिया है।

 

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