Technology

पाकिस्तान सीमा के पास सेना का नए तरीके से युद्धाभ्यास:तेजी से धावा बोल दुश्मन चौंका देंगी सेना, नेवी, एयरफोर्स; 500KM के दायरे में पूरी ताकत झोंकी

अब भारतीय सेना नए रूप में ढलने को पूरी तरह से तैयार है। आधुनिक युद्ध रणनीतियों को अब सेना ने अपनाना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना अब थिएटर कमान स्थापित करने जा रही है। इसमें इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स(आईबीजी) को शामिल किया जाएगा। इन बैटल ग्रुप को एयरफोर्स व नेवी का साथ मिलेगा। इसका अंतिम परीक्षण इन दिनों थार के रेगिस्तान से लेकर रण ऑफ कच्छ तक युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के माध्यम से किया जा रहा है। करीब पांच सौ किलोमीटर के दायरे में फैले इस युद्धाभ्यास में सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के तहत आज सेना ने रण ऑफ कच्छ के दलदली व समुद्री इलाकों में अपनी क्षमता को परखा। आज गुप्त सूचनाएं एकत्र करने वाले सभी समूह मसलन सेना, नेवी, एयरफोर्स के अलावा तट रक्षक बल, बीएसएफ के साथ ही स्थानीय प्रशासन व पुलिस को साथ लेते हुए अभ्यास किया गया। इसका मुख्य लक्ष्य सभी सूत्रों को साथ जोड़ते हुए इनके बीच के तालमेल को परखना था।

युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के माध्यम से सेना बदलते परिवेश में रणक्षेत्र के नए तरीकों को आजमा रही है, ताकि कम से कम समय में जवाबी हमला बोल दुश्मन को न केवल चौंका सके। उसके महत्वपूर्ण भू भाग पर कब्जा जमाया जा सके। इसे ध्यान में रख युद्ध से जुड़े सभी चीजों एयर, स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आजमाया जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर के अलावा ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।

इस कारण पड़ी आवश्यकता

पाकिस्तान से सटी सीमा पर यह पहला अवसर है। जब सेना इस नए तरीके को आजमा रही है। इस बार का युद्धाभ्यास पूर्व में होने वाले युद्धाभ्यासों से पूरी तरह से अलग है। भविष्य के युद्ध, खासकर परमाणु शक्ति से लैस देशों के बीच, सीमित समय में सीमित स्थान लड़े जाएंगे और उनमें सटीक और निर्णायक मार करने वाली सैन्य तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस युद्ध में पहला वार करने वाला बड़े फायदे में रहेगा। ऐसे युद्ध में कोर और डिवीजन जवाबी कार्रवाई में सुस्त साबित हो सकते हैं। इसके चलते सीधे कमान में ब्रिगेड आकार के छोटे संयुक्त बैटल ग्रुप बनाए जाने लगे। संचार और नेट वर्किंग की आधुनिक व्यवस्थाओं ने डिवीजन की जरूरत को खत्म कर दिया है।

ऐसा है इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप

भारतीय सेना ने पिछले तीन वर्षों से बड़े सलीके से इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आईबीजी ​​​​​​) के विचार का परीक्षण किया है। उसे अमली जामा पहनाने जा रही है। सभी आईबीजी को मिशन, खतरे और इलाके के हिसाब से गठित किया गया है। डिवीजनों को कोर मुख्यालय के अंदर काम कर रहे ब्रिगेडियर या मेजर जनरल की कमान में दो-तीन आईबीजी में पुनर्गठित किया जाएगा। आईबीजी को जरूरत के मुताबिक संसाधन के साथ कार्रवाई करने के लिए कमान, कंट्रोल और संगठन के बारे में फैसले करने की छूट होगी। आईबीजी भूमिका के मुताबिक मैकेनाइज्ड फोर्स हो सकते हैं। कंबेट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट की यूनिट/सब-यूनिट अलग-अलग हो सकती है। कोर लॉन्ग रेंज और बड़े कंबेट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट फॉर्मेशन/यूनिट पर नियंत्रण रखेगा।

आकार हालात के अनुसार

आईबीजी का आकार किसी भी सैन्य ब्रिगेड से बड़ा। किसी डिवीजन से थोड़ा कम होगा। इसमें शामिल अधिकारियों, जवानों की संख्या क्षेत्रीय और ऑपरेशन की आवश्यकताओं के अनुरूप तय की जाएगी। आईबीजी कमान मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी के पास होगी और वह संबधित कोर के जीओसी के अधीन होगा। आईबीजी में अलग-अलग फील्ड के माहिर जवान होंगे। इसमें पैदल सैनिक, टैंक, तोप, इंजीनियर्स, लॉजिस्टिक, सपोर्ट यूनिट सहित वह सभी फील्ड के सैनिक एक साथ होंगे जो किसी भी युद्ध के लिए जरूरी हैं। अब तक यह सब अलग अलग यूनिट के तौर पर तैनात हैं और युद्ध के वक्त एक साथ आते हैं। प्रतिरक्षा हो या आक्रमण, युद्ध जैसी किसी भी स्थिति से तुरंत निबटने में यह दस्ता तत्पर रहेगा। आवश्यकता पड़ते ही तुरंत धावा बोल देना इसकी सबसे बड़ी खूबी है। यानी तैयारी या रणनीति बनाने के लिए कोई अतिरिक्त समय की इसे आवश्यकता नहीं पड़ेगी, बस आदेश मिलने की ही देर होगी।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *