Rajasthan State Udaipur

अकाल राहत फंड से शुरू हुआ था शिल्पग्राम फेस्टिवल:आज फोक और क्राफ्ट के लिए डेडिकेटेड देश का एकमात्र उत्सव, दो साल बाद फिर हो रहा शुरू

वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर का शिल्पग्राम फेस्टिवल दो साल के इंतजार के बाद एक बार फिर होने जा रहा है। पिछले साल कोरोना के चलते इस फेस्टिवल को रद्द कर दिया गया था। दो साल बाद यह फेस्टिवल हो तो रहा है। मगर इस बार इसका रंग थोड़ा बदला हुआ होगा। हर साल की तरह सांस्कृतिक प्रस्तुतियां तो होंगी मगर लगभग 25 राज्यों से आने वाले कलाकारों के बजाय इस बार 8 राज्यों से ही कलाकार आएंगे। कोविड के चलते टिकट ऑनलाइन भी मिलेंगे। शिल्पग्राम में एंट्री के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा। वहीं पहली बार इसके लिए टिकट ऑनलाइन भी बुक हो सकेंगे।

1989 में बने शिल्पग्राम में पिछले तीन दशक से हो रहा यह फेस्टिवल देश में सिर्फ फॉक और क्राफ्ट के लिए होने वाला एकमात्र डेडिकेटेड फेस्टिवल है। 1987 में शिल्पग्राम का निर्माण शुरू हुआ था। 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शिल्पग्राम का उद्घाटन किया था। यह शिल्पग्राम पश्चिमी भारत के चार राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा की संस्कृतियों की झलक दिखाता है। सेंटर की पहली डायरेक्टर अदिति मेहता ने शिल्पग्राम को यह कंसेप्ट दिया था।

अकाल राहत फंड से शुरू हुआ था शिल्पग्राम प्रोजेक्ट

पूरे देश में 7 कल्चरल सेंटर हैं। उन्हीं में से एक वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर का शिल्पग्राम है। शिल्पग्राम का यह प्रोजेक्ट जब शुरू हुआ। तब इसके लिए पर्याप्ट बजट नहीं था। ऐसे में इसे उस दौरान सरकार से मिले अकाल राहत फंड के बजट से तैयार कराया गया था। शिल्पग्राम का अद्भुत डिजाइन गुजरात के पदमश्री हक्कू भाई शाह ने तैयार किया था। 1993 में यहां हुए इंटरनेशनल चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल से यह चर्चा में आया था। शिल्पग्राम फेस्टिवल में हर साल देशभर से लगभग 600 आर्टिस्ट परफॉरमेंस देते हैं।

16 हैक्टेयर में फैला, 700 मीटर में 350 से ज्यादा दुकानें

शिल्पग्राम 16 हैक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है। यहां चारों राज्यों की ग्रामीण संस्कृति को दर्शाती 31 झोपड़िया हैं। लगभग 2 किलोमीटर का वॉकवे है। मगर कुछ साल पहले इसे आसान बनाते हुए 700 मीटर का एक पाथवे बनाया गया था। जिसमें 350 से भी ज्यादा क्राफ्ट शॉप हैं। साथ ही अलग-अलग मंच हैं जहां सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होती हैं। चारों राज्यों के प्रमुख नृत्य, संगीत और कलाओं का प्रदर्शन यहां किया जाता है। साथ ही शिल्पग्राम उत्सव के दौरान 25 ये ज्यादा राज्यों की संस्कृति की झलक यहां देखने को मिलती है।

यह सब बनाता है शिल्पग्राम को खास

क्राफ्ट स्टॉल्स

शिल्पग्राम में 350 से ज्यादा तरह की क्राफ्ट स्टॉल्स लगती हैं। इन स्टॉल्स पर आर्ट, हैंडिक्राफ्ट, क्लॉथ, क्रॉकरी सहित कई तरह के प्रोडक्ट मिलते हैं। देशभर के अलग-अलग हिस्सों से यहां आकर लोग अपने क्षेत्र की संस्कृति और विरासत को दर्शाती चीजें बेचते हैं।

म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट

संगीत और कला को बढ़ावा देने के लिए यहां क्लासिकल और वेस्टर्न म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स बनाए गए हैं। इसमें सरोद, सारंगी, पियानो सहित कई इंस्ट्रूमेंट हैं। इनके लिए उन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। जिनका रंग वास्तविक इंस्ट्रूमेंट जैसा हो। कई वाद्ययंत्र लकड़ी के तो कई कांसे के भी बने हुए हैं।

नृत्य मुद्राओं की मूर्तियां

यहां पश्चिम भारत के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश के प्रमुख नृत्यों की मुद्राओं से जुड़ी मूर्तियां भी हैं। इनमें राजस्थान का कालबेलिया, गुजरात का डांडिया, महाराष्ट्र का डांडिया, गोवा का समाई और दमन एंड दीयू के माची नृत्य से जुड़ी मुद्राओं की मूर्तियां हैं।

ट्रेडिशनल किचनवेयर

शिल्पग्राम में पुराने जमाने में इस्तेमाल होने वाले किचन के सामानों की प्रतिमाएं भी दर्शाई गई हैं।

इनमें चक्की, अचार की बरनी, खरल, सुराही, बिलौनी, लकड़ी का चूल्हा वगैरह हैं। काफी बड़े साइज की इनकी प्रतिमाएं पर्यटकों को काफी आकर्षित करती हैं।

योगा पॉश्चर, मॉडर्न स्कल्पचर भी आकर्षण

शिल्पग्राम में योगा की कई तरह की मुद्राओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं। योगा की अलग-अलग मुद्राओं की प्रतिमाएं पर्यटकों के लिए सेल्फी जोन भी है। इसके अलावा लाइफ साइज की मॉडर्न मूर्तियां भी यहां हैं। जो लोगों को काफी आकर्षित करती हैं।

10 से ज्यादा तरह का भोजन

शिल्पग्राम में फूड स्टॉल्स भी लगती हैं। जिनमें देशभर के 10 से 12 राज्यों का पारम्परिक भोजन मिलता है। बिहार, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मध्यप्रदेश सहित लगभग 12 राज्यों का पारम्परिक खान-पान यहां पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।

संगीत, नृत्य और लोक का संगम

इसके साथ ही शिल्पग्राम में देशभर की विभिन्न संस्कृतियों का समागम देखने को मिलता है। नार्थ-ईस्ट से लेकर दक्षिणी-पश्चिमी, पूर्वी, मध्य भारत के संगीत, नृत्य, वाद्य कलाओं और लोक का संगम पर्यटकों को शिल्पग्राम में देखने को मिलता है। इससे भी पर्यटक काफी उत्साहित रहते हैं

लगभग 1.5 लाख विजिटर पहुंचते हैं

21 से 30 दिसम्बर तक होने वाले इस फेस्टिवल का उद्घाटन हमेशा प्रदेश के राज्यपाल करते हैं। 10 दिन चलने वाले इस फेस्टिवल में लगभग 1.5 लाख विजिटर टिकट लेकर पहुंचते हैं। हालांकि 2015 तक यह आंकड़ा 1 लाख से कम था। मगर इस दौरान डायरेक्टर रहे फुरकान खान के शिल्पग्राम में किए गए इनोवेशन के चलते 2019 तक यह संख्या लगभग 1.5 लाख तक पहुंच गई थी।

इसे बेहतर बनाते रहें, मगर मूल स्वरूप बरकरार रहे : फुरकान खान

शिल्पग्राम के निदेशक रहे पूर्व प्रशासनिक अधिकार फुरकान खान कहते हैं कि शिल्पग्राम उत्सव और शिल्पग्राम उत्तर भारत का एक ऐसा केंद्र बन गया है। जहां भारत अच्छे लोक कलाओं के प्रदर्शन की आशा रखते हैं और इसे देखने की उम्मीद में यहां आते हैं। इस विरासत को बनाए रखना बेहद जरूरी है। समयअनुसार परिवर्तन भी होते रहना चाहिए, ताकि यह आगे बढ़ता रहे। लेकिन इसका मूल स्वरूप और उद्धेश्य बनाए रखना भी आवश्यक है।

 

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