उदयपुर में टूरिज्म बूम, गुजराती टूरिस्ट की रहेगी बहार- टलों में एडवांस बुर्किंग हुई, टूरिस्ट के लिए कई नए प्वाइंट होंगे खास

दीपावली के साथ ही उदयपुर में पर्यटकों की शुभ यात्रा का आगाज भी हो गया है। दीपावली की रात शुक्रवार को शहर में सजावट देखने वाले और ओल्ड सिटी में सेलिब्रेशन में शामिल होने वालों में देसी के साथ-साथ विदेशी टूरिस्ट भी थे। टूरिज्म बूम की शुरूआत इस त्यौहार के साथ ही हो गई है। सबसे अहम बात यह है कि यहां देसी-विदेशी पर्यटकों का आवागमन रहता है और इनमें भी सबसे ज्यादा टूरिस्ट इस समय गुजरात का रहेगा। हमारी पड़ौसी राज्य गुजरात के टूरिस्ट का उदयपुर और आसपास की साइट सीन के साथ ही करीब तीन से पांच दिन तक भ्रमण होता है।
पर्यटकों को लेकर उदयपुर तैयार है। टूरिज्म बूम को लेकर होटल व्यवसाय से लेकर अलग-अलग सेक्टर से जुड़े लोगों ने तैयारियां पूरी कर ली गई है। उदयपुर से राजसमंद और रणकपुर-कुंभलगढ़ तक की होटलों में बुकिंग पहले ही हो चुकी है। यहां टूरिज्म की उदयपुर में केसरियाजी से एंट्री होती है। सबसे पहले ऋषभदेव में केसरियाजी मंदिर में दर्शन के बाद टूरिस्ट आगे बढ़ते है।
दीपावली के साथ ही खुशियों की शुरूआत मेवाड़ के टूरिज्म सेक्टर में शुरू होती है। खासकर उदयपुर में दीपावली के बाद टूरिज्म बूम शुरू होता है जो लाभ ही लाभ देता है। इससे जुड़े लोग मानते है क यह सक्सेस जाती है तो आगे नव वर्ष तक सब कुछ अच्छा ही होता है। वैसे दीपावली के साथ ही सबसे पहले गुजराती टूरिस्ट का आना शुरू हो जाता है जो लाभ पंचमी तक रहता है।
उदयपुर से लेकर राजसमंद जिले के अधिकतर होटल व रिजोर्ट में टूरिस्ट की बुर्किंग हो चुकी है। अधिकतर होटलें तो पहले से फुल हो चुकी है। असल में इस समय सर्वाधिक गुजराती पर्यटक आते है क्योंकि दीपावली के साथ ही गुजरात में व्यापार भी बंद रहता है और सब परिवार के साथ घूमने जाते हैं।
वैसे विदेशी टूरिस्ट तो अभी दीपावली से पहले ही उदयपुर में है और यहीं दीपावली सेलिब्रेशन में शामिल हुए वहीं लाभ पंचमी से पहले तक बड़ी संख्या में गुजराती टूरिस्ट की भी यहां बहार रहेगी। उदयपुर में गुजरात के अलावा नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि स्थानों से भी पर्यटक भी आते हैं।
सितंबर 2024 में उदयपुर शहर के सिटी पैलेस के हाथी अगड़ में हाथियों को महावतों के माध्यम से युद्ध अभ्यास कराने के प्राचीन दृश्य को जीवंत किया गया जिसे उदयपुर आने वाला टूरिस्ट अब देख सकता है। यहां युद्ध अभ्यास करते फाइबर के नवनिर्मित दो हाथियों को देखने के साथ उसके बारे में जान भी सकेंगे।
मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बताया कि सिटी पैलेस के हाथी अगड़ में हाथियों को युद्ध अभ्यास कराने की प्राचीन परंपरा रही है। इस युद्ध अभ्यास के जरिए हाथियों को युद्ध कौशल और सवारी में पारंगत किया जाता था। उन्होंने कहा कि हाथियों की देखरेख मेरे पूर्वज की निगरानी में होती थी।