उदयपुर में भीलवाड़ा के कलाकारों ने खेला नाटक – कठपुतलियां

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में संडे की रात को वरिष्ठ साहित्यकार मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी से प्रेरित नाटक ‘कठपुतलियां’ का मंचन हुआ। भीलवाड़ा के अनुराग सिंह राठौड़ ने नाट्य रूपांतरण व निर्देशन किया और उनके साथी कलाकारों ने मंच पर अपना अभिनय कौशल दिखाया।
नाटक मनुष्य के अंतर्मन की परतों को खोलते हुए दर्शाता है कि कामनाओं के पाश में बंधा इंसान दृष्टिहीन होकर उनकी पूर्ति की ओर बढ़ता है तो कठपुतलियों की तरह ही हो जाता है। मन उसे इधर-उधर दौड़ाता रहता है। वहीं संयम के साथ जब वह विचार करता है तो प्रेम और मोह के अंतर को समझ पाता है।
नाटक की नायिका अपने ही कथित प्रेम के लावण्य में जिस तरह उलझी रहती है और अंततः वो चेतन होकर यह समझ पाती है की स्त्री केवल मोहपाश में बंधी हुई कोई भौतिक वस्तु ना होकर के एक सृजनकर्ता, ममत्व से भरी हुई, प्रकृति, मां है। नाटक लोक कलाकारों की कमजोर सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी सामने लाकर रखता है।