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उपचुनावों में बीजेपी से ज्यादा आक्रामक दिखी कांग्रेस:वल्लभनगर में प्रमोद जैन भाया का मैनेजमेंट काम आया, धरियावद में एकजुटता ने दिलाई बढ़त

राजस्थान में उपचुनावों में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है। वल्लभनगर में कांग्रेस 20,606 मतों से जीती तो धरियावद में 18,725 मतों से शानदार जीत दर्ज की। प्रदेशभर की जनता, राजनीतिज्ञ, विश्लेषक और यहां तक कि कांग्रेस के नेता भी ऐसी जीत की कल्पना नहीं कर रहे थे। मगर यहां कांग्रेस सरकार के पक्ष में एक अंडरकरंट था, जिसने दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाई।

आम तौर पर चुनावी मैनेजमेंट में इतनी आक्रामक नहीं दिखने वाली कांग्रेस ने इस बार गजब का मैनेजमेंट दिखाया। हर छोटे से बड़ा नेता वल्लभनगर और धरियावद में डेरा डाले रहा, जिसका यही असर हुआ कि दोनों सीटों पर कांग्रेस ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की। कुल 2 सीट के लिए 5 मंत्री और 11 विधायक फील्ड में उतार दिए।

ल्लभनगर में उदयपुर के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उपचुनाव की घोषणा से पहले से सक्रिय थे। उन्होंने यहां के लगातार दौरे किए और इलाके में कांग्रेस की हवा बनाए रखी। बीजेपी टिकट तय होने के बाद कहीं मैदान में नजर आई। वहीं आखिरी के कुछ महत्वपूर्ण दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खान और गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया को वल्लभनगर की जिम्मेदारी सौंपी। बिना लाइमलाइट में आए भाया ने बूथ लेवल गजब का मैनेजमेंट किया। भाया अपने साथ बारां, झालावाड़ सहित आसपास के 400 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को वल्लभनगर लाए, जिन्होंने 15 दिन पूरी तरह मैनेजमेंट अपने हाथ में रखा।

हर बूथ से 10-10 लोगों को बुलाकर ट्रेनिंग दी गई। बड़ी सभाओं के बजाय नुक्कड़, गलियों, घरों, चौराहों पर ताबड़तोड़ बैठकें और छोटी सभाएं की। भाया ने पूरे चुनाव के दौरान वल्लभनगर में कांग्रेस को उठाए रखा। यही वजह रही कि भितरघात के खतरे के बावजूद उपचुनाव की घोषणा से लेकर मतदान तक कांग्रेस की हवा दिखी। ऐसा ही इस सीट के परिणाम में भी दिखाई दिया।

धरियावद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की 4 सभाएं सबसे बड़ा फैक्टर साबित हुई। मगर यहां तीनों पंचायत समितियों में कांग्रेस का मैनेजमेंट जबरदस्त रहा। खास तौर पर क्षेत्र के तीनों बड़े आदिवासी नेताओं की एकजुटता का फायदा इस बार यहां कांग्रेस को मिला।

लसाड़िया में बीजेपी की पकड़ के चलते लक्ष्य था कि झल्लारा में कांग्रेस बढ़ी लीड ले। ऐसे में यहां सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा को कमान सौंपी गई। मीणा का स्थानीय जुड़ाव और सरल व्यवहार यहां काम आया और कांग्रेस ने यहां 7 हजार से ज्यादा की लीड ली।

इधर, धरियावद में पूर्व मंत्री और बड़े आदिवासी नेता महेंद्रजीत मालवीया का चुनावी मैनेजमेंट काम आया। मालवीया वो नेता हैं जो मोदी लहर में भी अपनी सीट से जीतने में कामयाब रहे थे। ऐसे में उनका गजब का चुनावी मैनेजमेंट धरियावद में दिखा। यहां कांग्रेस को 13 हजार से ज्यादा की लीड मिली। लसाड़िया में कांग्रेस का लक्ष्य बीजेपी की लीड को कम से कम रखने का था।

हालांकि यहां कांग्रेस की लीड की बड़ी वजह बीजेपी से कन्हैया को टिकट नहीं मिलना रही। मगर खेलमंत्री अशोक चांदना और जनजाति मंत्री अर्जुन बामनिया ने यहां कन्हैया के टिकट कटने को पूरी तरह कैपिटलाइज किया। खासकर चांदना की टीम ने यहां कन्हैया के टिकट कटने के माहौल को कांग्रेस की तरफ झुकाने में कामयाबी हासिल की। इसका परिणाम मतगणना में सामने आ गया।

 

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