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बादाम से भी महंगा मारवाड़ का ‘पंचकूटा’:VIP शादियों में पहली पसंद, 5 तरह की सब्जियों से होता है तैयार, 200 करोड़ का सालाना कारोबार

देश के बड़े उद्योगपतियों की डाइनिंग टेबल या फिर किसी VIP शादी का खाना, मारवाड़ के पंचकूटे की सब्जी के बिना अधूरा ही होता है। यहां उगने वाली पांच तरह की प्राकृतिक वनस्पतियों को मिक्स कर बनाई जाने वाली पंचकूटा देश की सबसे महंगी सब्जियों में से एक है। इसके दाम काजू और बादाम से भी ज्यादा हैं। राजस्थानी जायका की इस कड़ी में आपको ले चलते हैं रेतीले धोरों सें दुनिया तक पहुंचने वाले पंचकूटा के स्वाद के सफर पर।

देश में सिर्फ मारवाड़ में ही बनता है पंचकूटा
पंचकूटा को लेकर कहावत पूरे मारवाड़ में प्रसिद्ध है ‘कैर, कुमटिया सांगरी, काचर बोर मतीर, तीनूं लोकां नह मिलै, तरसै देव अखीर।’ इसका मतलब है कि पंचकूटा का ये व्यंजन राजस्थान के अलावा तीनों लोकों में नहीं मिलते और देवता भी इसके स्वाद के लिये तरसते हैं। देश में सिर्फ मारवाड़ के मरुस्थलीय क्षेत्र में ही केर-सांगरी, कुमटी और बबूल फली, कमलगट्टा और गूंदा उगते हैं। लोग इसे ईश्वर का वरदान मानते हैं क्योंकि यह मरुस्थलीय वनस्पति अपने आप उगती है। यह खासतौर पर नागौर, बाड़मेर, पाली, जोधपुर और बीकानेर बेल्ट में ही उगती है।

शुरू से रही है मारवाड़ की देसी सब्जी
पंचकूटा की सब्जी शुरू से ही मारवाड़ के लोग खाते आ रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे इसके टेस्ट ने लोगों को आकर्षित किया। अब घरों से यह सब्जी लोकल बाजार तक पहुंची। यहां के अप्रवासी राजस्थानियों ने इसे दुनियाभर में पहचान दिलाई। राजस्थानी जहां भी गए पंचकूटा का स्वाद अपने साथ लेकर गए। यहां से तैयार पंचकूटा बाहर जाने लगा, इसके बाद यह जायका देश के कोने-कोने तक पहुंचने लगा।

ऐसे तैयार होता है पंचकूटा
नागौर के होलसेल व्यापारी कमल ने बताया कि इसे तैयार करने के लिए कोई अलग से रेसिपी नहीं है। ये पांच तरह की वनस्पति है, जो अलग-अलग पेड़ पौधों से प्राप्त होती है। केर-सांगरी, कुमटी, बबूल फली, गूंदा या कमलगट्टा और साबुत लाल मिर्च हो तो इसे कोई भी मारवाड़ी बड़े आराम से बना सकता है। ये सभी चीजें मार्केट में अलग-अलग मिलती हैं। इन्हें बराबर क्वांटिटी में मिक्स कर दिया जाता है। पंचकूटा में गूंदा या कमलगट्‌टा में से कोई एक चीज मिलाई जाती है।

इसकी सब्जी बनाने के लिए इसे बनाने के लिए सभी आइटम्स को रात में पानी में भिगोकर रखा जाता है। सुबह पानी को बाहर निकाल कर थोड़ी देर रखा जाता है। इसके बाद तेल में छौंककर सूखा दिया जाता है। इस तरह से सूखा पंचकूटा तैयार होता है। जो एक-दो महीने तक खराब नहीं होता। शादियों में हलवाई अपने जायके अनुसार सब्जी तैयार करते हैं। मारवाड़ में पंचकूटा का अचार भी बनाया जाता है।

नागौर में करीब 30 होलसेल व्यापारी
अकेले नागौर में करीब 30 बड़े होलसेल व्यापारी पंचकूटा का कारोबार कर रहे हैं। वहीं पूरे मारवाड़ की बात करे तो सैंकड़ों छोटे-बड़े व्यापरी इस काम में जुटे हैं। घरों में महिलाएं भी बड़े पैमाने पर इसे तैयार करती हैं। पूरे मारवाड़ से इसका कुल सालाना कारोबार 200 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बताया जाता है।

800 रुपए से लेकर 1300 रुपए किलो तक भाव
पंचकूटे की क्वालिटी और फ्लेवर के साथ-साथ केर की साइज के हिसाब से इसके भाव अलग-अलग होते हैं। ये लोकल मार्केट में 800 रुपए लेकर 1300 रुपए किलो तक बिकता है। वहीं ग्लोबल मार्केट में कंपनियां अपनी ब्रांड वेल्यू और क्वालिटी के हिसाब से दाम तय करती हैं। नागौर से बाहर जाते ही इसके दाम आसमान छूने लगते हैं।

हर VIP शादी में रहती है डिमांड
पंचकूटे की सब्जी का स्वाद देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की जुबान पर चढ़ चुका है। विदेश के कई होटल और रेस्टोरेंट्स के शैफ इसे स्पेशल सब्जी के तौर पर अपने ग्राहकों को ऑफर करते हैं। देश में होने वाली लगभग हर VIP शादी में भी इसे खाने के मीनू में शामिल किया जाता हैं। राजस्थान में हर साल होने वाली सैकड़ों वीआईपी वेडिंग में पंचकूटे की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है।

महाभारत में मिलता है वर्णन, शरीर के लिए गुणकारी
कैर और सांगरी मरुप्रदेश की विशेषता है, महाभारत में भी इनका वर्णन मिलता है। इनमें कैमिकल नहीं होता और गुणों में ये सूखे मेवों से कम नहीं हैं। सांगरी में पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर है। इसमें पाया जाने वाला सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखने एवं प्रतिरक्षा को बढ़ाने में उत्तम है। ये कई तरह के रोगों को दूर करता है जैसे जोड़ों का दर्द, पाचन सम्बन्धी समस्याएं, पाइल्स और रक्त भी शुद्ध होता है। इसमें उपस्थित पोषक तत्व रक्त की कमी को दूर करने में सहायक होते हैं।

 

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