राजस्थान के 5-6 छोटे जिले खत्म होने की कगार पर- रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट पर उपचुनाव के बाद होगा फैसला
कांग्रेस सरकार में बने जिलों के रिव्यू के लिए बनी मंत्रियों की कमेटी ने काम लगभग पूरा कर लिया है। उपचुनाव के बाद कमेटी सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। सरकार नवंबर में गहलोत राज के छोटे जिलों को खत्म करने या बरकरार रखने पर फैसला करेगी। मंत्रियों की कमेटी का भी मानना है कि मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले जिलों को मर्ज कर देना चाहिए।
रिव्यू कमेटी गहलोत राज के छोटे जिलों को खत्म करने की सिफारिश करेगी। रिव्यू कमेटी में शामिल कई मंत्रियों ने इस तरह के संकेत दिए हैं। पूर्व आईएएस ललित के पंवार कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रियों ने हर जिले पर अपनी राय दी है। जो जिले मापदंड पूरे कर रहे हैं, जहां जनसंख्या और क्षेत्रफल ज्यादा है, लोगों की सुविधा के लिए जिला बनना जरूरी है। उन जिलों को बरकरार रखने की सिफारिश होगी।
विधानसभा क्षेत्र जितने इलाके भी जिले, उन पर लटकी तलवार गहलोत राज के दौरान बनाए गए छोटे जिलों में दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी को लेकर सवाल उठे थे। इन जिलों के इलाके बहुत छोटे हैं। उपखंड जितना ही इलाका है। इन्हें जिले बनाने पर विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने भी खूब सवाल उठाए थे। रिव्यू कमेटी में शामिल मंत्रियों ने भी कहा था कि विधानसभा क्षेत्र जितने इलाकों को जिला बना दिया। इस हिसाब से 200 जिले बनाने पड़ेंगे। मंत्रियों की कमेटी ने रिपोर्ट में हर जिले पर अपनी सिफारिश देगी।
गहलोत राज के जिलों पर पहले रिटायर्ड आईएएस ललित के पंवार कमेटी ने रिपोर्ट दी। पंवार कमेटी ने हर जिले का दौरा कर लोगों और प्रशासनिक अफसरों से बात की। जिला मापदंडों पर कितना खरा उतरता है। जो जिला बना है, उसकी जरूरत थी या नहीं, इन सब तथ्यों को शामिल करते हुए फैक्चुअल रिपोर्ट दी थी। पंवार कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही मंत्रियों की कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की है।
दूदू के कारण रिव्यू कमेटी संयोजक पद से डिप्टी सीएम को हटाया रिव्यू कमेटी के संयोजक पहले डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा थे। बैरवा दूदू से विधायक हैं। दूदू को जिला बनाने पर पहले भी सवाल उठे थे। रिव्यू कमेटी दूदू को मर्ज करने पर सिफारिश कर सकती है। दूदू पर फैसले से पहले बैरवा को संयोजक पद से हटाकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को इसकी जिम्मेदारी दी गई। रिव्यू कमेटी के संयोजक बदलने से इस बात के साफ संकेत मिल गए कि दूदू को मर्ज किया जा सकता है।
छोटे जिलों को खत्म करने के विरोध में हो चुके धरने प्रदर्शन गहलोत राज के छोटे जिलों को खत्म करने पर मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही खूब विरोध हो चुका है। गंगापुर सिटी, सांचौर सहित कई जगहों पर कांग्रेस नेताओं ने सितंबर में धरने प्रदर्शन किए थे। गहलोत राज के दौरान बने छोटे जिले खत्म करने पर आगे भी सियासी विवाद होना तय है।
31 दिसंबर से पहले करना होगा जिलों पर फैसला सरकार को छोटे जिलों को मर्ज करने और पुनर्गठन का फैसला 31 दिसंबर से पहले करना होगा। 31 दिसंबर तक ही जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने जिलों से लेकर उपखंड, तहसील व नए गांव बनाने और उनकी बाउंड्री बदलने की छूट दे रखी है।
1 जनवरी 2025 से नई प्रशासनिक यूनिट बनाने और प्रशासनिक यूनिट की बाउंड्री बदलने पर रोक लग जाएगी। पहले 1 जुलाई से सीमाएं फ्रीज थीं। सीएम भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर छूट मांगी थी। इसके बाद में बजट में जिले, तहसील, उपखंड और गांवों के गठन की छूट दी थी। जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने देश भर में नई प्रशासनिक यूनिट बनाने पर लगी रोक को 31 दिसंबर तक हटाने का फैसला किया था।