उपचुनाव से पहले पॉलिटिकल फ्लैशबैक:वल्लभनगर में कांग्रेस 8 बार जीती, इनमें 7 बार शक्तावत परिवार का कब्जा; बीजेपी यहां सिर्फ 1 बार जीती, धरियावद में पिछले 4 में से 3 में बीजेपी का कब्जा
राजस्थान की दो सीटें वल्लभनगर और धरियावद में होने वाले उपचुनाव तय हो चुका है। सभी पार्टियों के नेताओं ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में तो टिकट के लिए लॉबिंग भी शुरू हो गई है। वल्लभनगर और धरियावद दोनों अलग-अलग राजनीतिक प्रकृति की सीटें हैं। वल्लभनगर ने राजस्थान को कई बड़े नेता दिए जिसके चलते ये सीट काफी प्रच्चलित रही है। वल्लभनगर सीट पर कांग्रेस और शक्तावत परिवार का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने यह सीट 8 बार जीती है। जबकि बीजेपी यहां महज एक बार ही चुनाव जीत सकी है। बीजेपी को 2003 में रणधीर सिंह भींडर ने पहली और आखिरी बार यहां से जिताया था। वहीं कांग्रेस से 8 में से 7 बार इस सीट पर कब्जा शक्तावत परिवार का रहा है।
गुलाबसिंह शक्तावत।
गुलाबसिंह शक्तावत।
वल्लभनगर सीट की खास बात यह है कि यहां पर इतने वर्षों में सिर्फ 5 ही नेताओं ने जीत हासिल की है। उनमें से दो तो एक ही परिवार से हैं। इस सीट से सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सैनानी, गृहमंत्री और कांग्रेसी नेता गुलाबसिंह शक्तावत जीते हैं। उन्होंने 5 बार यहां से चुनाव जीता है। गुलाबसिंह शक्तावत ने 11 चुनाव लड़े। आखिरी बार 1998 में गुलाबसिंह चुनाव जीते थे। 2003 में रणधीर सिंह भींडर ने उन्हें चुनाव हराया था। उनके अलावा जनता पार्टी के कमलेंद्र सिंह यहां से 3 बार चुनाव जीते।
रणधीर सिंह भींडर।
रणधीर सिंह भींडर।
पिछले 4 चुनाव से रणधीर-गजेंद्र में लड़ाई
पिछले 4 चुनाव से वल्लभनगर की सीट पर रणधीर सिंह भींडर और गजेंद्र शक्तावत चुनाव जीत रहे थे। 2018 के पिछले चुनाव में कांग्रेस से गजेंद्र सिंह शक्तावत चुनाव जीते थे। मगर यह जीत महज 3000 से ज्यादा वोटों से मिली थी। 2013 में जनता सेना से रणधीर सिंह भींडर जीते थे। 2008 में गजेंद्र सिंह और 2003 में रणधीर सिंह भींडर जीते थे।
गौतमलाल मीणा।
गौतमलाल मीणा।
धरियावद में लगातार दो बार से जीत रही बीजेपी
धरियावद सीट जो 2003 तक लसाड़िया सीट हुआ करती थी, यहां ओवरऑल तो कांग्रेस का कब्जा ज्यादा रहा है। मगर पिछले कुछ चुनावों से यहां बीजेपी हावी रही है। इस सीट से कांग्रेस 7 और बीजेपी 5 बार चुनाव जीती है। मगर पिछले 4 में से 3 चुनाव बीजेपी के गौतमलाल मीणा ने जीते। वे 2018, 2013 और 2003 में चुनाव जीते थे। उनके निधन के बाद यह सीट खाली हुई। वहीं यहां कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे नगराज मीणा 2008 और 1998 में विजेता रहे हैं। उनसे पहले यहां बीजेपी के नारायण लाल 3 बार और कांग्रेस के जयनारायण और कमला 2-2 बार चुनाव जीते हैं।
इस चुनाव में भी समीकरण लगभग वही, सिम्पैथी फैक्टर हावी
उपचुनाव में भी दोनों सीटों पर लगभग पुराना सा समीकरण देखने को मिल रहा है। दोनों सीटों पर नेताओं के निधन का सिम्पैथी फैक्टर हावी रहेगा। धरियावद में बीजेपी मजबूत है तो वहीं वल्लभनगर में कांग्रेस एक कदम आगे दिख रही है। हालांकि वल्लभनगर में शक्तावत परिवार के बीच आपसी मतभेद और जनता सेना के रणधीर सिंह भींडर की मजबूत पकड़ के चलते कांग्रेस खुद को पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं मान सकती। हालांकि हमेशा की तरह यहां बीजेपी का उम्मीदवार अगर भींडर के वोट काटता है तो उसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है।