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राजनीतिक नियुक्तियां फिर बनेंगी कलह का कारण:3 साल से आस देख रहे नेताओं को पद नहीं मिलने से बढ़ेगी गुटबाजी, पायलट खेमे में जा सकते हैं खाली हाथ रहने वाले समर्थक

राजस्थान में मंत्रिमंडल के बंटवारे के बाद अब प्रदेश की नजरें राजनीतिक नियुक्तियों पर है। संगठन और वैधानिक पदों पर राजस्थान में नियुक्तियां होनी हैं। नियुक्तियों में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच संतुलन बनाना हाईकमान के लिए बड़ी चुनौति होगी। सरकार को लगभग 3 साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में प्रदेश के हर जिले में नेता-कार्यकर्ताओं को नियुक्तियों से उम्मीदें हैं। मगर यह नियुक्तियां एक बार फिर कांग्रेस में कलह का कारण बनेंगी। इसकी शुरूआत दल-बदली और खेमेबंदी से होगी। ऐसे में 3 साल से नियुक्तियों की आस लगाए बैठे कार्यकर्ताओं को नियुक्ति नहीं मिलने से उनका सब्र टूट सकता है।

जिनकी आस टूटी, वो पायलट गुट में जा सकते हैं

नियुक्तियों के बाद कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर कार्यकर्ताओं में गुस्सा दिख सकता है। खास तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों में। पिछले साल हुए विवाद के बाद से नियुक्तियों की आस में बड़ी मात्रा में सचिन पायलट के समर्थक अशोक गहलोत खेमे में चले गए। वहीं पहले से अशोक गहलोत खेमे के प्रति वफादारी दिखा रहे नेता-कार्यकर्ता भी नियुक्तियों में ईनाम मिलने की आस में है। ऐसे में जिनकी आस टूटी, या जिन्हें उम्मीद के मुताबिक नियुक्तियां नहीं मिली, वो समर्थक अशोक गहलोत खेमे से टूटकर पायलट के रूप में अपना नया नेतृत्व स्वीकार कर सकते हैं।

पायलट 2023 का चेहरा हो सकते हैं, परमार की नाराजगी उदाहरण

मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद कई नेता जरूर पायलट गुट के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। मगर 2023 के चुनाव में सचिन पायलट को राजस्थान में कांग्रेस के चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। वहीं इंतजार के बाद भी पद नहीं मिलने से होने वाली नाराजगी का नमूना खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार के रिएक्शन में देखा जा चुका है। ऐसे में अगर पायलट राजस्थान में मजबूत होते हैं और अशोक गहलोत के समर्थकों में पद नहीं मिलने से नाराजगी बढ़ती है तो इससे कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ेगी और नाराज समर्थक पायलट के साथ जा सकते हैं।

उदयपुर में देखने को मिला अंदरखाने पायलट का समर्थन

इस गणित कि एक झलक पिछले दिनों वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत की बेटी की शादी में देखने को मिली। जो नेता अबतक अधरझूल में थे वो पायलट के समर्थन में खुलकर आए। पूर्व शहर जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा, प्रतापगढ़ के जिलाध्यक्ष भानूप्रताप सिंह सहित कई नेताओं ने पायलट का जोरदार स्वागत किया। कई नेता सामने नहीं आए मगर अंदरखाने पायलट से मिलने पहुंचे। साथ ही कई जगह अप्रत्यश रूप से पायलट का स्वागत भी कराया।

 

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